रॉक आर्ट सोसायटी ऑफ इण्डिया के 24वें राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ प्रमुख सचिव संस्कृति श्री पंकज राग ने किया। अधिवेशन शैल चित्रकला अध्ययन की विधा के संस्थापक डॉ. वी.एस. वाकणकर को समर्पित है। राज्य संग्रहालय में 29 फरवरी तक चलने वाले इस अधिवेशन के दौरान 6 अकादमिक सत्रों में 25 विषयों पर विचार-विमर्श होगा। शुभारंभ अवसर पर सोसायटी की पत्रिका 'पुराकला'' के 29वें अंक का विमोचन किया गया।
श्री पंकज राग ने शुभारंभ-सत्र में कहा कि मानव के सांस्कृतिक विकास के प्रथम चरण के महत्वपूर्ण साक्ष्यों को प्रस्तुत करते हुये शैल चित्र देश की अमूल्य धरोहर हैं। भारत में वर्ष वर्ष 1867-68 से आरंभ हुई शैल चित्रों की खोज निरंतर जारी है। प्रदेश में विद्यमान शैलचित्र कला स्थलों के विश्लेषण, डाक्यूमेंटेशन, संरक्षण और इन स्थलों के विकास का कार्य निरंतर जारी है।
शुभारंभ सत्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के भूतपूर्व महानिदेशक डॉ. राकेश तिवारी ने अपने व्याख्यान में भारत में शैलचित्र कला-अध्ययन के विकास क्रम प्रस्तुत किया। उन्होंने डॉ. वाकणकर के योगदान की भी सविस्तार जानकारी दी। इस अवसर पर पुरातत्वविद श्री के.के. मोहम्मद, डॉ.एस.बी. ओटा, प्रोफेसर गिरिराज कुमार, प्रोफेसर आर.सी.अग्रवाल सहित विरासत संरक्षक तथा अन्य विषय-विशेषज्ञ उपस्थित थे।
तीन दिवसीय इस अधिवेशन में शैलचित्र कला स्थलों के संरक्षण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की संरक्षण नीति, आदि पर विचार विमर्श होगा। अधिवेशन का समापन 29 फरवरी को सांय 4:30 बजे होगा।